नाराजगी भी है तुमसे प्यार भी तो है ।
दिल तोड़ने वाले तू मेरा यार भी तो है ।
मुझे बेकरार कर गयी है ये तेरी बेरुखी,
और उसपे सितम ये तू ही करार भी तो है।
जब चाहता हूँ इतना तो क्यों ख़फ़ा न होऊं,
तेरे बिना मेरा जीना दुश्वार भी तो है ।
तुमसे ही मेरी जिन्दगी वीरान हुई है,
तुमसे ही जिन्दगी ये खुशगवार भी तो है।
दोनों के लुत्फ़ हैं यहां इस एक इश्क में,
कुछ जीत भी है इश्क में कुछ हार भी तो है।
वैसे तो मेरा दिल जरूर तुमसे ख़फ़ा है,
तुमको ही ढूंढता ये बार बार भी तो है ।
bahut hi sundar shabdo ka jaal buna hai aapne....bahut achhi lagi aapki ye rachna..
ReplyDeletePrasann ji
ReplyDeleteजब चाहता हूँ इतना तो क्यों ख़फ़ा न होऊं,
तेरे बिना मेरा जीना दुश्वार भी तो है ।
aapko padkar sachmuch achchha laga.mujhe shrangaar ras bahut priy hai.muhabbat hi to jindgi hai. chahe milan ho ya judaai.sundar ghazal ke liye bahut bahut badhaai.
वाकई विविधतापूर्ण व्यक्तित्व है आपका. रचनायें भी भावपूर्ण हैं, बधाई.
ReplyDeleteनाराजगी भी है तुमसे प्यार भी तो है ।
ReplyDeleteदिल तोड़ने वाले तू मेरा यार भी तो है ।
वाह...वाह.....!!
जब चाहता हूँ इतना तो क्यों ख़फ़ा न होऊं,
तेरे बिना मेरा जीना दुश्वार भी तो है ।
लाजवाब वकील साहब......!!
ye word verification hta den....!!
विरोधाभास में लिखी कविता को सरल शब्दों में
ReplyDeleteसुन्दरता के साथ पिरोया है।
बधाई।
दुनिया के बाज़ार में बेचो न इसे तुम ,
ReplyDeleteये बात अभी दिल के खजाने के लिए है ।
इस बात की चिंगारी अगर फ़ैल गयी तो ,
तैयार जहाँ आग लगाने के लिए है ।
नाराजगी भी है तुमसे प्यार भी तो है ।
दिल तोड़ने वाले तू मेरा यार भी तो है
सुनाई दी है गिन्नी की खन्न हमें भी
प्रसन्नवदन ने कर दिया प्रसन्न हमें भी
सरलता और गेयता के महत्वपूर्ण गुणों से युक्त रचना के लिए बधाई
वैसे तो मेरा दिल जरूर तुमसे ख़फ़ा है,
तुमको ही ढूंढता ये बार बार भी तो है ।
दोनों के लुत्फ़ हैं यहां इस एक इश्क में,
ReplyDeleteकुछ जीत भी है इश्क में कुछ हार भी तो है।
बहुत खूब .. हर शेर पसंद आया .यह बहुत अच्छा लगा .शुक्रिया
दोनों के लुत्फ़ हैं यहां इस एक इश्क में,
ReplyDeleteकुछ जीत भी है इश्क में कुछ हार भी तो है।
बहुत खूब भाई...वाह.
नीरज
बहुत उम्दा गज़ल है। बहुत अच्छी लगी।धन्यवाद।
ReplyDeleteachchhi gajal hai.ab aap itna achchha likh lete hain aur sangeet ke jankar bhi hain to hum jaison ki pratikriya to jaise sooraj ko diya dikhane ke jaisi hogi.
ReplyDeleteumda wahhhhhhhhhh..kya baat hai sir ji,,,
ReplyDeleteलिखना तो बहुत अच्छी बात है और हम लिखने की हर कोशिश की सराहना करते हैं,किन्तु मित्र पढ़ना उससे भी अच्छी बात है .क्योंकि पढ़ कर ही आप लिखने के काबिल बनते हैं इसलिए अगर आप लिखने पर एक घंटा खर्च करते हैं तो और ब्लागों को पढने पर भी दो घंटे समय दीजिये ,ताकि आपकी लेखनी में और धार पैदा हो .मेरी शुभकामनाएं व सहयोग आपके साथ हैं
ReplyDeleteजय हिंद
narayan..narayan...narayan
ReplyDeleteब्लौग-जगत में आपका स्वागत है..शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteब्लोग जगत मे आपका स्वागत है। मेरे ब्लोग ्पर पधारे।
बहुत ही शानदार लिखा है आपने !
ReplyDelete