मुहब्बत है मुहब्बत है मुझे तुमसे मुहब्बत है।
जरुरत है जरुरत है मुझे तेरी जरुरत है |
है गोरा रंग तेरा काली आँखें सुर्ख लब तेरे,
कि चाहत है हाँ चाहत है मुझे इनकी ही चाहत है।
तुम इतनी खूबसूरत हो कि हर तारीफ़ कम होगी,
कयामत है कयामत है हुश्न तेरा कयामत है ।
खुदाई इश्क है तेरा और तू है खुदा मेरी,
इबादत है इबादत है इश्क मेरा इबादत है।
मुझे भी देख लेते हो कभी तुम अपनी आँखों से,
इनायत है इनायत है तुम्हारी ये इनायत है।
तसव्वुर में तुम्हें लाता हूँ तो मुझको ऐसा लगता है,
जियारत है जियारत है यही तेरी जियारत है।
ये मेरा दिल लो तुम ले लो जैसे चाहो इस से खेलो,
इजाज़त है इजाज़त है तुम्हें इसकी इजाज़त है।
prasann ji bahut achchi ghazal hai, ye sher to ghazab hai -
ReplyDeleteखुदाई इश्क है तेरा और तू है खुदा मेरी,
इबादत है इबादत है इश्क मेरा इबादत है।
नमस्कार प्रसन्न वदन जी, जैसाकि आपने कहा था कि आपका ब्लॉग मुझे जरूर अच्छा लगेगा, सच निकला । आज मैं इस पर ठीक से समय नहीं दे पाया, किसी दिन अच्छे से पढ़ूँगा ।
ReplyDeleteखुदाई इश्क है तेरा और तू है खुदा मेरी,
ReplyDeleteइबादत है इबादत है इश्क मेरा इबादत है।
बहूत खूब ....!!
ये मेरा दिल लो तुम ले लो जैसे चाहो इस से खेलो,
इजाज़त है इजाज़त है तुम्हें इसकी इजाज़त है।
जैसे चाहो इस से खेलो....? कुछ जंचा नहीं ....चाहे तोड़ दे , चाहे छोड़ दे ....? फिर तो ये गीत तो बनना ही नहीं चाहिए था ...'खेलो ना मेरे दिल से ..."
हरकीरत जी,
ReplyDeleteभावातिरेक में मनुष्य सब कुछ कह जाता है,उस समय वह भला-बुरा कहाँ सोचता है?बाद में जब उसके साथ कुछ अगर बुरा होगा तभी तो वह कहेगा....
"आप की जब थी जरूरत, आप ने धोखा दिया।
हो गई रूसवा मुहब्बत , आप ने धोखा दिया।
बेवफ़ा होते हैं अक्सर, हुश्नवाले ये सभी;
जिन्दगी ने ली नसीहत, आप ने धोखा दिया।"
PRASANNA JI AAP JO BHI LIKHATE HO WAH BAHUT HI SARAL SAHAJ HOTA HAI JO SIDHE DIL TAK JATA HAI
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ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत कविता लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बेहद पसंद आया! बहुत ही रोमांटिक कविता है जो दिल को छू गई !